YouTube ने अपनी monetization policy में बदलाव किया है, जिसके तहत अब creators वीडियो की शुरुआत में strong profanities (गालियों) के बावजूद पूरी कमाई कर सकते हैं। जानिए क्या है पूरी अपडेट और इससे creators को क्या फायदा होगा।
YouTube की नई Monetization Policy: अब गालियों पर नहीं कटेगा पैसा?
अगर आप YouTube पर वीडियो बनाते हैं और कभी-कभी अपनी भाषा में थोड़ी मस्ती कर जाते हैं — यानी शुरुआत में कोई गाली निकल जाती है — तो अब आपको demonetization का डर नहीं रहेगा। जी हाँ, YouTube ने अपनी advertiser-friendly guidelines को अपडेट किया है, और इस नई पॉलिसी के तहत creators को शुरुआत की गालियों के बावजूद भी पूरी ad revenue मिल सकती है।
क्या बदला है पॉलिसी में?
YouTube के Head of Monetization Policy Experience ने Creator Insider चैनल पर एक वीडियो पोस्ट करके इस बदलाव की जानकारी दी है (वीडियो लिंक नीचे)। उन्होंने साफ किया कि अब creators को पहले 7 सेकंड में यदि कोई “strong profanity” इस्तेमाल होती है, तो भी full monetization possible है।
🔗 वीडियो देखें: YouTube Policy Update – Creator Insider
पर क्या हर तरह की गाली अब चलेगी? Monetization Policy
नहीं। यह बदलाव “स्वतंत्रता” नहीं बल्कि “प्रासंगिकता और नियंत्रण” के नजरिए से किया गया है। इसका उद्देश्य creators को परेशान करने वाली सख्त नीतियों को थोड़ा सहज बनाना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अब हर वीडियो में गालियों की भरमार हो सकती है।
महत्वपूर्ण बातें:
- अगर वीडियो के टाइटल या thumbnail में गालियां होंगी, तो फिर भी demonetization होगा।
- यह बदलाव TV broadcast standards से align किया गया है।
- Advertisers को अब वो videos भी acceptable लगेंगी जो कुछ हद तक expressive language use करती हैं — बशर्ते content overall advertiser-friendly हो।
यूज़र्स और ब्रांड दोनों के लिए संतुलन
इस नए update के जरिए YouTube ने creators को थोड़ी रचनात्मक आज़ादी दी है, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि advertisers के साथ content match करना जरूरी है। इस पॉलिसी के पीछे सोच यह है कि अगर कोई गाली है, तो वह “ad से दूर हो”, ताकि brand safety बनी रहे।
इसी के साथ आया है नया Age Verification सिस्टम – Monetization Policy
सिर्फ monetization ही नहीं, YouTube ने teen safety पर भी ध्यान दिया है। अब एक AI-powered age verification system अमेरिका में लॉन्च किया गया है, जो यह पहचान सकता है कि कोई यूज़र 18 साल से कम उम्र का है या नहीं।
कैसे करेगा काम?
- यह सिस्टम किसी भी यूज़र के वीडियो देखने के pattern, search history और अकाउंट की उम्र के आधार पर तय करेगा कि वह टीनेजर है या नहीं।
- अगर वह नाबालिग पाया गया, तो अपने आप:
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- Age filters ऑन हो जाएंगे
- Personalized ads बंद हो जाएंगी
- Digital wellbeing features activate हो जाएंगे।
Content Creators को क्या फायदा?
अगर आप एक YouTuber हैं जो वीडियो के अंदाज़ में बोलते वक्त थोड़ा बिंदास हो जाते हैं, तो ये पॉलिसी आपके लिए काफी राहतभरी है। अब हर बार वीडियो demonetize होने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।
लेकिन ध्यान रहे:
“मज़ाक मस्ती की छूट है, पर ज़िम्मेदारी के साथ।”
निष्कर्ष (Conclusion)
YouTube का यह बदलाव content creators और advertisers के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने की दिशा में एक और कदम है। इससे creators को creative freedom भी मिलती है और brands को safety भी। वहीं, minors के लिए age verification सिस्टम भी online safety को मजबूत करता है।
YouTube धीरे-धीरे सिर्फ एक वीडियो प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार डिजिटल स्पेस बन रहा है – जो creators, advertisers और यूज़र्स — तीनों की ज़रूरतों को समझता है।
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